
सीडीएससीओ की नई पहल: एसएमई के लिए संशोधित अनुसूची एम कार्यान्वयन पर राहत की उम्मीद
दिल्ली। :– भारत की फार्मा इंडस्ट्री में छोटे और मध्यम उद्यमों (एसएमई) के लिए बड़ी राहत की खबर आई है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने संशोधित अनुसूची एम मानकों के कार्यान्वयन की समयसीमा बढ़ाने के लिए ऑनलाइन आवेदन प्रणाली शुरू की है। यह कदम उन एसएमई के लिए अहम साबित होगा, जो संशोधित मानकों को अपनाने के लिए अतिरिक्त समय की मांग कर रहे हैं।
समयसीमा बढ़ाने की प्रक्रिया:
सीडीएससीओ ने राष्ट्रीय औषधि लाइसेंसिंग प्रणाली (ओएनडीएलएस) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन जमा करने की सुविधा दी है। अब आवेदकों को केवल ओएनडीएलएस पोर्टल पर पंजीकरण कर आवेदन जमा करना होगा। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने साफ किया है कि समयसीमा विस्तार के लिए कोई भी हार्ड कॉपी आवेदन स्वीकार नहीं किया जाएगा।
नई समयसीमा:
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 11 फरवरी को अधिसूचना जारी कर एमएसएमई इकाइयों के लिए संशोधित अनुसूची एम के कार्यान्वयन की समयसीमा एक साल बढ़ाकर 31 दिसंबर, 2025 कर दी है। यह राहत सिर्फ उन इकाइयों को मिलेगी, जो अधिसूचना जारी होने के तीन महीने के भीतर विस्तार के लिए आवेदन करेंगी।
आवेदन की शर्तें:
समयसीमा बढ़ाने के लिए कंपनियों को फॉर्म ‘ए’ में आवेदन करना होगा, जिसमें निम्नलिखित विवरण देना अनिवार्य होगा:
- अनुभाग-वार अंतर विश्लेषण
- उन्नयन योजनाएं और रणनीतियां
- अनुपालन के लिए आवश्यक समय का औचित्य
- तीन महीने के भीतर उन्नयन कार्य शुरू करने की प्रतिबद्धता
अंतर विश्लेषण संयंत्र, उपकरण, प्रयोगशाला, एचवीएसी प्रणाली, तकनीकी स्टाफ और दस्तावेज़ीकरण जैसे विभिन्न पहलुओं पर किया जाना आवश्यक होगा।
उद्योग की प्रतिक्रिया:
हालांकि यह निर्णय एमएसएमई के लिए राहत लेकर आया है, फिर भी कुछ उद्योग जगत के लोगों ने मसौदा अधिसूचना में दी गई कुछ शर्तों पर आपत्ति जताई है। खासतौर पर, केंद्रीय लाइसेंस स्वीकृति प्राधिकरण (सीएलएए) के पास आवेदन जमा करने की बाध्यता को लेकर असहमति है, क्योंकि परंपरागत रूप से विनिर्माण लाइसेंस राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरणों द्वारा जारी किए जाते हैं।
इसके अतिरिक्त, कुछ उद्यमियों का कहना है कि अंतर विश्लेषण का विवरण देना और तय समयसीमा में उन्नयन कार्य पूरा करने का वचन देना व्यावहारिक रूप से मुश्किल हो सकता है।
आगे की राह:
सीडीएससीओ की यह पहल देश की फार्मा इंडस्ट्री में गुणवत्ता मानकों को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम है। हालांकि, इसका सफल कार्यान्वयन इस बात पर निर्भर करेगा कि छोटी और मध्यम इकाइयां इन शर्तों का पालन कितनी प्रभावी तरीके से कर पाती हैं और सरकार उनकी चिंताओं को कैसे संबोधित करती है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि नई प्रणाली एसएमई के लिए वास्तव में कितनी सहायक साबित होती है और फार्मा सेक्टर में इसका व्यापक प्रभाव कैसा रहेगा।