सीडीएससीओ की कार्रवाई पर दिल्ली हाईकोर्ट की रोक, अवैध दवा लिस्टिंग मामले में इंडियामार्ट को बड़ी राहत

सीडीएससीओ की कार्रवाई पर दिल्ली हाईकोर्ट की रोक, अवैध दवा लिस्टिंग मामले में इंडियामार्ट को बड़ी राहत

17 सितंबर तक इंडियामार्ट और निदेशकों पर कोई कठोर कदम नहीं, कंपनी ने कहा– हम सिर्फ़ मध्यस्थ हैं

नई दिल्ली। ऑनलाइन मार्केटप्लेस इंडियामार्ट इंटरमेश लिमिटेड को मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय से बड़ी राहत मिली। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) ने कंपनी पर उसके प्लेटफॉर्म पर कथित अवैध दवाओं की लिस्टिंग का आरोप लगाते हुए आपराधिक मुकदमा चलाने की तैयारी की थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी है।

न्यायमूर्ति सौरभ बनर्जी ने सुनवाई के दौरान कहा कि सीडीएससीओ का आदेश अभी प्रभावी नहीं होगा। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर 2025 को तय की है। तब तक कंपनी और उसके निदेशकों के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा।


इंडियामार्ट की दलील

इंडियामार्ट की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दर्पण वाधवा और अधिवक्ता अनिरुद्ध बाकरू ने अदालत में दलील रखी। उनका कहना था कि कंपनी खुद दवाओं की बिक्री या वितरण नहीं करती। वह केवल एक डिजिटल मंच है, जो खरीदार और विक्रेता को आपस में जोड़ने का काम करता है।

वकीलों ने बताया कि कंपनी सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम (आईटी एक्ट) के तहत ‘मध्यस्थ’ (Intermediary) की श्रेणी में आती है और ऐसे मामलों में उस पर सीधा आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता। उन्होंने आईटी एक्ट की धारा 79 का हवाला दिया, जिसमें ऐसे प्लेटफॉर्म को “सुरक्षित बंदरगाह” (Safe Harbour) का संरक्षण दिया गया है।

इंडियामार्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वह केवल उत्पादों को सूचीबद्ध करता है, लेकिन उनके निर्माण, गुणवत्ता या बिक्री पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है। इस कारण से, औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम की धारा 18 और 27, जो दवाओं के निर्माण और बिक्री पर रोक लगाती हैं, ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर लागू नहीं होतीं।


सीडीएससीओ का रुख

सीडीएससीओ की ओर से सरकारी वकील ने अदालत को बताया कि फिलहाल उनके आदेश को लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि इससे संगठन के अधिकारों और तर्कों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। यानी, सीडीएससीओ ने अदालत की अगली सुनवाई तक इंडियामार्ट पर कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई है।


लंबे समय से चल रहा विवाद

यह मामला नया नहीं है। सीडीएससीओ ने जून 2024 से जुलाई 2025 के बीच इंडियामार्ट को कई नोटिस और पत्र जारी किए थे। इनमें कंपनी को निर्देश दिया गया था कि वह अवैध दवाओं की लिस्टिंग हटाए और सुधारात्मक कदम उठाए, अन्यथा आपराधिक मुकदमा चलाया जा सकता है।

इन नोटिसों को इंडियामार्ट ने पहले ही हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। 22 जुलाई 2025 को न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने भी कहा था कि कंपनी को सुनवाई का पूरा अवसर दिया जाएगा और तत्काल अभियोजन की आशंका निराधार है। उस समय भी अदालत ने कंपनी और उसके निदेशकों को जबरन कार्रवाई से सुरक्षा दी थी।


राहत की सांस

फिलहाल, हाईकोर्ट के ताज़ा आदेश से इंडियामार्ट को बड़ी राहत मिली है। कंपनी पर सीधे मुकदमा चलाने का खतरा टल गया है। अदालत ने साफ कर दिया है कि 17 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई तक कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला ई-कॉमर्स कंपनियों और नियामक संस्थाओं के बीच ज़िम्मेदारी की सीमा तय करने में अहम साबित हो सकता है। अगर अदालत ने इंडियामार्ट के पक्ष में अंतिम फैसला दिया, तो यह भविष्य में अन्य ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स के लिए भी एक मिसाल बनेगा।


 तथ्य एक नज़र में

  • कब मामला उठा: जून 2024 से जुलाई 2025 के बीच सीडीएससीओ के कई नोटिस
  • इंडियामार्ट का पक्ष: केवल लिस्टिंग प्लेटफॉर्म, बिक्री में कोई भूमिका नहीं
  • कानून का सहारा: आईटी एक्ट की धारा 79 (Safe Harbour)
  • सीडीएससीओ का रुख: आदेश फिलहाल लागू नहीं होगा, अधिकार सुरक्षित
  • अगली सुनवाई: 17 सितंबर 2025

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