सीडीएससीओ का डिजिटल क्रांति: दवा नियामन में 97% संचालन ऑनलाइन, 25% अक्षमताओं में कमी
नई दिल्ली, फार्मास्यूटिकल और हेल्थकेयर सेक्टर में भारत ने एक और ऐतिहासिक कदम उठाया है। केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) अब 97% डिजिटल संचालन के साथ पूरी तरह बदल चुका है। इस डिजिटल क्रांति से संगठन ने न केवल पारदर्शिता और कार्यकुशलता को बढ़ाया है बल्कि 25% तक अक्षमताओं को भी खत्म कर दिया है।
नई दिल्ली में आयोजित iPHEX 2025 की 11वीं अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी के दौरान, भारतीय औषधि महानियंत्रक डॉ. राजीव सिंह रघुवंशी ने इस क्रांतिकारी बदलाव की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि डिजिटल डैशबोर्ड प्रणाली के चलते अब दवा निर्यात अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) सात दिन से भी कम समय में जारी हो जाता है। यह सुधार न केवल निर्यातकों को लाभ पहुँचा रहा है बल्कि अस्वीकृत दवाओं के प्रवाह पर रोक लगाकर मरीजों की सुरक्षा भी सुनिश्चित कर रहा है।
नियामक सुधार और वैश्विक मान्यता
डॉ. रघुवंशी ने कहा कि नौकरशाही का बोझ घटाने और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए भारत के दवा नियमों को सरल और लचीला बनाया गया है।
- संशोधित शेड्यूल-एम अधिसूचना भारतीय कंपनियों को विश्व स्वास्थ्य संगठन-जीएमपी मानकों को अपनाने के लिए प्रेरित कर रही है।
- इस बदलाव से भारत की स्थिति वैश्विक विनियमित बाज़ारों में मज़बूत हुई है और निम्न व मध्यम आय वाले देशों (LMICs) में 90% से अधिक गुणवत्ता-सुनिश्चित दवाओं की पहुँच संभव हुई है।
भारत अब फार्मास्युटिकल इंस्पेक्शन को-ऑपरेशन स्कीम (PIC/S) अनुपालन की ओर बढ़ रहा है। इसके लिए राज्य नियामकों को वैश्विक स्तर के मानक अपनाने होंगे। इसी क्रम में सीडीएससीओ ने राज्य नियामक सूचकांक की शुरुआत की है, जो राज्यों को उनके नियामक प्रदर्शन पर रैंक देता है और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है।
जेनेरिक से इनोवेशन-ड्रिवन इकोसिस्टम की ओर
भारत अब जेनेरिक आधारित उद्योग से आगे बढ़कर बायोसिमिलर और नवाचार-केंद्रित पारिस्थितिकी तंत्र की ओर अग्रसर है। आज भारत 200 से अधिक देशों को दवाओं का निर्यात करता है और उसकी नियामक प्रणाली को वैश्विक स्तर पर मान्यता मिल रही है।
- अब तक 17 देशों ने भारतीय फार्माकोपिया को मान्यता दी है।
- 20 से अधिक देशों ने सीडीएससीओ के साथ नियामक सहयोग समझौते (MoUs) पर हस्ताक्षर किए हैं।
वैश्विक दवा सुरक्षा में भारत की भूमिका
भारत का फार्माकोविजिलेंस प्रोग्राम ऑफ इंडिया (PvPI), विश्व स्वास्थ्य संगठन और उप्साला मॉनिटरिंग सेंटर (UMC) के साथ जुड़कर प्रतिकूल औषधि प्रतिक्रियाओं (ADR) की रिपोर्टिंग कर रहा है।
इससे न केवल वैश्विक ADR ट्रैकिंग मजबूत हो रही है बल्कि भारतीय नियामक भी साक्ष्य-आधारित निर्णय लेकर औषधि सुरक्षा को नए स्तर तक पहुँचा पा रहे हैं।
डॉ. रघुवंशी का संदेश
“भारत अब वैश्विक फार्मा हब बनने की दिशा में अग्रसर है। डिजिटल एकीकरण और नियामक पारदर्शिता से हमारी गति और विश्वसनीयता दोनों बढ़ी हैं। आने वाले समय में भारत न केवल जेनेरिक बल्कि नवाचार और बायोसिमिलर विकास में भी दुनिया का नेतृत्व करेगा।