बड़ी खबर: अब सरकारी कर्मचारियों को परिवार की संपत्ति का भी देना होगा पूरा हिसाब, हाईकोर्ट का सख्त अल्टीमेटम

 


बड़ी खबर: अब सरकारी कर्मचारियों को परिवार की संपत्ति का भी देना होगा पूरा हिसाब, हाईकोर्ट का सख्त अल्टीमेटम

देहरादून: उत्तराखंड हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों द्वारा परिवार की संपत्ति छिपाने के मामलों पर कड़ा रुख अपनाते हुए साफ कहा है—
नियमों के तहत किसी भी परिजन की संपत्ति छिपाना अपराध की श्रेणी में आएगा, चाहे वह आर्थिक रूप से स्वतंत्र क्यों न हो।

मुख्य न्यायाधीश जस्टिस जी. नरेंदर और जस्टिस सुभाष उपाध्याय की खंडपीठ ने राज्य सरकार, मुख्य सचिव और आयकर विभाग को कठोर निर्देश जारी करते हुए आदेश दिया कि:

❗दो सप्ताह के भीतर

  • परिवार की परिभाषा
  • किस-किस सदस्य की संपत्ति बताना अनिवार्य है
  • संपत्ति छुपाने पर जिम्मेदारी और दंड

इन सभी नियमों को पूरी तरह स्पष्ट कर गजट में प्रकाशित किया जाए।
अनुपालन रिपोर्ट 22 दिसंबर को कोर्ट में दाखिल करनी होगी।


 मामला: जल निगम में आय से अधिक संपत्ति की जांच

यह पूरा मुद्दा जल निगम के कुछ अधिकारियों पर लगी ‘आय से अधिक संपत्ति’ की शिकायतों से जुड़ा है।
इसमें अनिल चंद्र बलूनी और जाहिद अली ने जनहित याचिकाएं दायर की थीं।
जबकि अखिलेश बहुगुणा और सुजीत कुमार विकास ने आरोपों को गलत बताते हुए कोर्ट का रुख किया है।

चारों मामलों पर हाईकोर्ट में एक साथ सुनवाई चल रही है।


 हाईकोर्ट ने क्या कहा?

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उत्तराखंड सरकारी सेवक आचरण नियमावली-2002 का हवाला देते हुए साफ किया कि:

‘परिवार के सदस्य’ में शामिल हैं—

  • पत्नी/पति
  • पुत्र, सौतेला पुत्र
  • अविवाहित पुत्री / सौतेली अविवाहित पुत्री
  • आश्रित पति/पत्नी
  • रक्त संबंध या विवाह संबंध से आश्रित अन्य सदस्य

कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की:

“कई मामलों में कर्मचारी यह कहकर परिजनों की संपत्ति का खुलासा नहीं करते कि वे आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं।
नियम ऐसी कोई छूट नहीं देते!


 शासन और विभागों पर हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी

कोर्ट ने कहा कि निगमों और अन्य सेवाओं के नियम सरकार के नियमों से अलग नहीं हो सकते।
अतः सभी विभागों को संपत्ति खुलासे में पूरी पारदर्शिता और समान मानक लागू करने होंगे।


 आयकर विभाग को भी कार्रवाई के आदेश

हाईकोर्ट ने दोनों पीआईएल की प्रतियां आयकर विभाग को भेजने का आदेश दिया और कहा कि:

  • दो सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट दी जाए
  • आरोपित अधिकारियों की संपत्तियों की गहन और निष्पक्ष जांच की जाए
  • जरूरत पड़े तो देहरादून से लेकर झारखंड तक रिकॉर्ड मंगाने की पूरी स्वतंत्रता होगी

 कोर्ट की सख्ती: अनुपालन न हुआ तो सीधे जवाबदेही तय

मुख्य सचिव वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से पेश हुए, जिन्हें फिलहाल व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी गई है।
पर कोर्ट ने साफ चेतावनी दी—

गजट प्रकाशित न होने या आदेशों पर अमल न होने पर कड़ी जवाबदेही तय होगी।

इसके साथ ही कोर्ट ने आदेश दिया कि अगली सुनवाई में दोनों पीआईएल की अनुपालन रिपोर्ट कॉज़ लिस्ट में सबसे ऊपर रखी जाए, ताकि देरी की कोई गुंजाइश न बचे।


 

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