नकली दवा सिंडिकेट का बड़ा खुलासा, औषधि विभाग की बड़ी कार्रवाई

 नकली दवा सिंडिकेट का बड़ा खुलासा, औषधि विभाग की बड़ी कार्रवाई

भाई-भतीजे और डमी फर्मों के जरिए करोड़ों का गोरखधंधा

आगरा, औषधि विभाग और एसटीएफ की संयुक्त कार्रवाई में आगरा के सबसे बड़े नकली दवा सिंडिकेट का पर्दाफाश हुआ है। इस काले कारोबार में परिवार के भाई-भतीजे तक शामिल पाए गए हैं। थोक और खुदरा दुकानों के नाम पर कई डमी फर्में बनाई गई थीं, जिनके जरिए करोड़ों की खरीद-फरोख्त हो रही थी। जांच में अब तक 11 दुकानों की तलाशी ली जा चुकी है और कई संदिग्धों पर शिकंजा कसना शुरू हो गया है।

परिवार के नाम पर मेडिकल कारोबार

औषधि विभाग की जांच में सामने आया है कि आगरा के बंसल, हिमांशु अग्रवाल और गोगिया परिवारों ने अपने भाइयों, भतीजों और परिजनों के नाम से थोक व खुदरा मेडिकल स्टोर के लाइसेंस ले रखे थे।

  • बंसल परिवार – बंसल मेडिकल एजेंसी, एमएसवी मेडि प्वाइंट, ताज मेडिको
  • हिमांशु अग्रवाल परिवार – हे मां मेडिको, श्री राधे मेडिकल एजेंसी
  • गोगिया परिवार – राधे कृपा फार्मा, गोगिया मेडिकल एजेंसी, एनके एंटरप्राइजेज, मेडिसिन प्वाइंट, के केयर

जांच में कई दुकानों पर दवाओं का कोई स्टॉक नहीं मिला, जबकि खरीद-बिक्री के रिकॉर्ड करोड़ों के लेनदेन की ओर इशारा कर रहे हैं।

छापेमारी और चौंकाने वाले खुलासे

22 अगस्त को फव्वारा स्थित बंसल मेडिकल एजेंसी और हे मां मेडिको पर छापा मारा गया था। यहां से बड़े पैमाने पर गड़बड़ियां पकड़ी गईं।

  • एक फर्म में दवाओं का कोई स्टॉक नहीं मिला, लेकिन फर्जी बिलिंग और दवा की बिक्री होती रही।
  • गोगिया परिवार की थोक दुकान “के केयर” पर दवाओं की बजाय सिर्फ डायपर का स्टॉक मिला।
  • कई दुकानों पर खरीद-बिक्री का रिकॉर्ड वास्तविक स्टॉक से मेल नहीं खा रहा था।

औषधि विभाग का बयान

सहायक औषधि आयुक्त अतुल उपाध्याय ने बताया कि इस सिंडिकेट ने परिजनों के नाम पर डमी फर्में खड़ी कर, नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए दवा का अवैध कारोबार किया। उन्होंने साफ कहा—

“ऐसे कारोबारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी, ताकि जनता के स्वास्थ्य से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा न जाए।”

अब होगी बड़ी कार्रवाई

औषधि विभाग ने एक दर्जन से अधिक दवा कारोबारियों को चिन्हित किया है। इनके खिलाफ

  • लाइसेंस निरस्तीकरण,
  • आपराधिक केस दर्ज कराने
  • और कड़ी आर्थिक दंडात्मक कार्रवाई की तैयारी चल रही है।

जनता में आक्रोश, सवालों के घेरे में सिस्टम

इस बड़े खुलासे के बाद शहर में हड़कंप है। आम जनता सवाल उठा रही है कि कैसे इतने सालों तक यह गोरखधंधा बिना विभाग की जानकारी के चलता रहा? और आखिरकार ऐसे सिंडिकेट को पनपने का मौका किसने दिया।

नकली दवाओं का कारोबार सिर्फ धोखाधड़ी नहीं, बल्कि लोगों की जान से सीधा खिलवाड़ है। अब देखना होगा कि यह कार्रवाई केवल छापेमारी तक सीमित रहती है या फिर दोषियों को जेल की सलाखों तक पहुंचाया जाएगा।

 

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