बंद फार्मा यूनिट में चोरी-छिपे चल रहा था दवा निर्माण, प्रशासन ने किया बड़ा भंडाफोड़

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बंद फार्मा यूनिट में चोरी-छिपे चल रहा था दवा निर्माण, प्रशासन ने किया बड़ा भंडाफोड़

औद्योगिक क्षेत्र बद्दी से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। राज्य दवा नियंत्रण प्रशासन ने एक बंद पड़ी फार्मा यूनिट में चल रहे गुप्त दवा निर्माण रैकेट का भंडाफोड़ किया है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस यूनिट पर पहले ही 29 मार्च, 2025 को ‘स्टॉप मैन्युफैक्चरिंग ऑर्डर’ जारी कर दिया गया था, यानी उत्पादन पूरी तरह से बंद करने का आदेश था। लेकिन आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए यूनिट के अंदर अवैध उत्पादन गुपचुप जारी था

राजस्थान से खुला राज़

 

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यह पूरा मामला तब उजागर हुआ, जब राजस्थान दवा नियंत्रण प्रशासन ने ‘लेवोसेटिरीजीन टैबलेट्स’ के फेल सैंपल की रिपोर्ट साझा की। यह दवा विनसेट-एल ब्रांड नाम से बाजार में बिक रही थी और इसका निर्माण एम/एस वाईएल फार्मा, काठा-बद्दी द्वारा किया गया था। रिपोर्ट में दवा को सब-स्टैंडर्ड यानी मानक से कम गुणवत्ता वाली घोषित किया गया।

औचक छापेमारी में बड़ा खुलासा

रिपोर्ट मिलते ही हिमाचल दवा नियंत्रक प्राधिकरण ने एक विशेष टीम गठित की और शनिवार सुबह यूनिट पर औचक छापेमारी की। जांच में फैक्टरी के अंदर मशीनें चालू मिलीं, बड़ी मात्रा में कच्चा माल, तैयार दवाएं और उत्पादन से जुड़े रजिस्टर बरामद किए गए।
अधिकारियों के अनुसार, फैक्टरी लंबे समय से गुप्त रूप से अवैध उत्पादन कर रही थी। गौरतलब है कि यह फर्म पहले से ही विभाग की निगरानी सूची में थी। मार्च 2025 में सीडीएससीओ और राज्य प्राधिकरण की संयुक्त टीम ने यहां निरीक्षण किया था, तब यूनिट गैर-संचालित बताई गई थी।

जनस्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं: दवा नियंत्रक

राज्य दवा नियंत्रक डॉ. मनीष कपूर ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है और विभाग ने ज़ीरो टॉलरेंस नीति के तहत कार्रवाई शुरू कर दी है।

“जनस्वास्थ्य के साथ किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाएगा। दोष सिद्ध होने पर फर्म का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है,” – डॉ. कपूर

उन्होंने बताया कि यह कार्रवाई राजस्थान और हिमाचल के बीच सूचना-साझा प्रणाली का परिणाम है। हाल ही में आयोजित उत्तरी राज्यों के दवा नियामक प्रमुखों की बैठक के बाद, अंतरराज्यीय सहयोग और निगरानी तंत्र को और मजबूत किया गया है।

बड़ी बात

यह घटना न केवल दवा उद्योग में व्याप्त अनियमितताओं को उजागर करती है, बल्कि यह भी दिखाती है कि कुछ कंपनियां सरकारी आदेशों की परवाह किए बिना, लोगों की सेहत से खिलवाड़ करने से भी नहीं हिचकतीं। अब देखना यह है कि इस गंभीर उल्लंघन पर प्रशासन कितनी सख्त कार्रवाई करता है।


 

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