
पीजीआई चंडीगढ़ का करोड़ों का घोटाला: स्वास्थ्य सेवा में घुन लगाता भ्रष्टाचार
चंडीगढ़ :- चंडीगढ़ के प्रतिष्ठित पोस्ट ग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च (PGI) में एक बड़ा घोटाला सामने आया है। आयुष्मान भारत योजना, जिसका उद्देश्य गरीब मरीजों को पांच लाख रुपये तक मुफ्त इलाज प्रदान करना है, उसी योजना के नाम पर सरकारी धन का भारी दुरुपयोग किया गया।
कैसे हुआ घोटाला?
पीजीआई ने मरीजों को दवा वितरण का कॉन्ट्रैक्ट अमृत फार्मेसी को दिया हुआ था। डॉक्टर मरीजों को दवाइयां लिखते थे, जिनके आधार पर फार्मेसी दवा देती थी और सरकार से उसका भुगतान लेती थी। लेकिन यहां एक बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ—
- फर्जी मुहरों का खेल: आयुष्मान भारत योजना के बिलों पर दवाइयों के नाम लिखकर नकली मुहर लगाई जाती थी।
- फर्जी बिल और दस्तावेज: आरोपी बलराम और उसके साथियों ने मरीजों के डेटा का इस्तेमाल कर नकली बिल और दस्तावेज तैयार किए।
- महंगी दवाइयों की हेराफेरी: सरकारी स्कीम के तहत आने वाली महंगी दवाइयों को सस्ते दामों में बाजार में बेचा गया।
- पीजीआई के स्टाफ की मिलीभगत: बिना अंदरूनी कर्मचारियों की मदद के इतनी बड़ी धोखाधड़ी संभव नहीं थी।
घोटाले का पर्दाफाश
फरवरी में एक व्यक्ति फर्जी नर्सिंग मुहर लगाकर अमृत फार्मेसी से 60,000 रुपये की दवाइयां लेने पहुंचा। गलती यह हुई कि बिल पर गलत डॉक्टर की मुहर लगी थी। सुरक्षाकर्मियों ने उसे पकड़ लिया और जब जांच हुई तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए—
- आरोपी के पास 8 फर्जी मुहरें, आयुष्मान योजना के जाली बिल और इंडेंट बुक मिली।
- उसने खुलासा किया कि वह किसी बड़े नेटवर्क के लिए काम कर रहा था।
- पूछताछ में पता चला कि मरीजों का डेटा चुराकर फर्जी रिकॉर्ड तैयार किया जाता था।
बड़े अधिकारी भी घेरे में!
सूत्रों के मुताबिक, इस घोटाले में पीजीआई के कई बड़े अधिकारी भी शामिल हो सकते हैं। पुलिस जांच कर रही है कि—
- बिना स्टाफ की मिलीभगत के मरीजों का डेटा बाहर कैसे गया?
- फर्जी मुहरों के लिए असली स्टैंप का सैंपल कैसे मिला?
- इंडेंट बुक गायब थी तो इसकी शिकायत क्यों नहीं की गई?
क्या होगा अगला कदम?
क्राइम ब्रांच के एसपी जसबीर सिंह के नेतृत्व में जांच जारी है। अभी तक बलराम को गिरफ्तार किया गया है, लेकिन आगे और गिरफ्तारियां हो सकती हैं।
यह मामला स्वास्थ्य क्षेत्र में भ्रष्टाचार का एक और सबूत है, जहां गरीबों के लिए बनी योजना को भ्रष्टाचारियों ने लूटने का जरिया बना लिया। सवाल यह है कि क्या पीजीआई और सरकार दोषियों को सख्त सजा दिलाने में सफल होगी?