फार्मासिस्टों की जानकारी को लेकर केंद्र सरकार की सख्ती, 31 जुलाई तक मांगा गया राज्यों से विस्तृत डेटा
नई दिल्ली, फार्मेसी क्षेत्र में पारदर्शिता और मानकीकरण को बढ़ावा देने की दिशा में केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) ने सभी राज्य फार्मेसी काउंसिल्स और पंजीकरण अधिकरणों को 31 जुलाई 2025 तक सभी पंजीकृत फार्मासिस्टों का समेकित डेटा अनिवार्य रूप से भेजने का निर्देश दिया है।
यह निर्देश “The Pharmacy Act, 1948” की धारा 15(A) के तहत जारी किया गया है, जिससे देशभर के फार्मासिस्टों को “Health Professional Registry” (HPR) में एकीकृत किया जा सके।
क्या मांगा गया है?
सरकार ने एक निर्धारित फॉर्मेट में प्रत्येक फार्मासिस्ट की निम्न जानकारियां अनिवार्य रूप से मांगी हैं:
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राज्य/केंद्र शासित प्रदेश का नाम
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फार्मासिस्ट का पूरा नाम
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जन्मतिथि (DD-MM-YYYY फॉर्मेट में)
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मोबाइल नंबर
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ईमेल आईडी
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पूर्ण पंजीकरण संख्या (जैसे Reg/2456/1234 या G-12345)
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मूल योग्यता
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पंजीकरण प्रमाणपत्र की वैधता (प्रारंभ तिथि और समाप्ति तिथि)
महत्वपूर्ण: पंजीकरण संख्या को पूरे स्टैंडर्ड फॉर्मेट में देना अनिवार्य किया गया है। जैसे सिर्फ “1234” की जगह “Reg/2456/1234” देना होगा।
क्यों लिया गया ये निर्णय?
इस कदम का उद्देश्य देश के सभी पंजीकृत फार्मासिस्टों का एक केंद्रीकृत और अद्यतन डेटाबेस तैयार करना है, ताकि स्वास्थ्य पेशेवरों की निगरानी, नियमन और प्रामाणिकता को बेहतर किया जा सके। इससे फर्जी प्रमाणपत्रों और डुप्लीकेट पंजीकरण की समस्याओं पर भी अंकुश लगने की उम्मीद है।
अनुपालन में देरी पर चेतावनी
सर्कुलर में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि भविष्य में भी यह डेटा समय-समय पर तय प्रारूप में भेजना अनिवार्य रहेगा। देर या लापरवाही की स्थिति में PCI सख्त कदम उठा सकती है।
यह आदेश फार्मेसी सेक्टर में अनुशासन और डिजिटल सुधार की दिशा में एक अहम पहल मानी जा रही है। इससे ना केवल डेटा प्रबंधन आसान होगा, बल्कि पारदर्शिता और जवाबदेही भी सुनिश्चित की जा सकेगी।