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July 19, 2025 Vol 20

गुजरात में फार्मेसी कानूनों की खुली धज्जियाँ: 528 मेडिकल स्टोर्स बिना फार्मासिस्ट, 370 फार्मासिस्ट दो से अधिक जगह कर रहे सेवा

गुजरात में फार्मेसी कानूनों की खुली धज्जियाँ: 528 मेडिकल स्टोर्स बिना फार्मासिस्ट, 370 फार्मासिस्ट दो से अधिक जगह कर रहे सेवा

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अहमदाबाद |   गुजरात राज्य के फूड एंड ड्रग्स कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन (FDCA) के XLN पोर्टल पर उपलब्ध ताजा आंकड़ों से चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। राज्य में जहां 528 मेडिकल स्टोर्स बिना किसी रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट (R.P.) के संचालित हो रहे हैं, वहीं दूसरी ओर 370 फार्मासिस्ट ऐसे हैं जो एक से अधिक फार्मेसी स्टोर्स में एक साथ अपनी सेवाएं दे रहे हैं — जो कि ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स अधिनियम, 1940 का गंभीर उल्लंघन है।


1. 528 मेडिकल स्टोर्स बिना फार्मासिस्ट: मरीजों की जान खतरे में

FDCA के XLN पोर्टल के अनुसार, राज्य के 528 रिटेल मेडिकल स्टोर्स ऐसे हैं जहां कोई भी रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट कार्यरत नहीं है। यह न केवल फार्मेसी एक्ट 1948 का उल्लंघन है बल्कि दवा वितरण की प्रक्रिया को गैरकानूनी बनाता है। मरीजों को ऐसे संस्थानों से दवा मिलने की स्थिति में गलत दवा, गलत खुराक या बिना परामर्श दवाएं मिलना तय है।

संभावित खतरे:

  • बिना विशेषज्ञ मौजूदगी के एंटीबायोटिक्स, स्ट्रॉन्ग पेनकिलर्स, और मनोचिकित्सीय दवाएं बेची जा रही हैं।

  • गंभीर बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को गलत दवा से नुकसान या मृत्यु तक हो सकती है।

  • फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति के बावजूद संस्थान वर्षों से लाइसेंस के तहत संचालित हैं।


2. 370 फार्मासिस्ट दो से ज्यादा संस्थानों में ‘ड्यूटी’ पर: फर्जीवाड़ा या लापरवाही?

FDCA की ही एक अन्य रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 370 रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट (R.P.) ऐसे हैं जो दो या दो से अधिक मेडिकल स्टोर्स में एक साथ कार्यरत दिखाए गए हैं। यह सीधा संकेत करता है कि इन फार्मासिस्टों के नाम केवल कागजों पर हैं, जबकि वे भौतिक रूप से मौजूद नहीं होते

कैसे होता है यह फर्जीवाड़ा?

  • फार्मासिस्ट अपना रजिस्ट्रेशन नंबर एक से अधिक फार्मेसी को “ऑन पेपर” किराए पर दे देते हैं।

  • स्टोर मालिक R.P. दिखाकर लाइसेंस रिन्यू करवा लेते हैं, जबकि असल में फार्मासिस्ट स्टोर पर नहीं होता।

  • कई बार मासिक कमीशन या शुल्क पर रजिस्ट्रेशन नंबर का “उधार” चलता है।


3. कानून क्या कहता है?

ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स रूल्स, 1945 के रूल 65(2):
“दवा की बिक्री केवल एक रजिस्टर्ड फार्मासिस्ट की निगरानी में होनी चाहिए, जो उस प्रतिष्ठान में पूर्णकालिक कार्यरत हो।”

फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्देश:
“एक फार्मासिस्ट एक समय में सिर्फ एक ही रिटेल फार्मेसी में कार्य कर सकता है। एक से अधिक स्थानों पर काम करना अवैध और अनैतिक है।”


4. प्रशासन की भूमिका पर सवाल

हालांकि यह डेटा FDCA की वेबसाइट पर सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है, फिर भी अब तक न तो इन 528 संस्थानों के खिलाफ व्यापक कार्रवाई हुई, और न ही 370 फार्मासिस्टों की रजिस्ट्रेशन जांच की गई है। यह लापरवाही निगरानी प्रणाली की विफलता को दर्शाती है।


इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति या नाम मात्र की उपस्थिति से जुड़े फर्जीवाड़े अब मरीजों के जीवन के लिए सीधा खतरा बनते जा रहे हैं। सरकार और औषधि प्रशासन को चाहिए कि इन मामलों में तत्काल जांच और कार्रवाई सुनिश्चित करे।

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