हाईकोर्ट का बड़ा फैसला: राज्य औषधि नियंत्रक का आदेश रद्द, मादक दवा बिक्री की सूचना देना अब अनिवार्य नहीं
शिमला : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने दवा निर्माताओं को मादक दवाओं की बिक्री की सूचना जिला पुलिस अधीक्षक को देने के आदेश को असंवैधानिक ठहराते हुए रद्द कर दिया है। यह आदेश राज्य औषधि नियंत्रक ने जारी किया था, जिसके तहत ट्रामाडोल जैसी औषधियों की बिक्री पर निगरानी रखने के उद्देश्य से विशेष एसओपी बनाई गई थी।
बायोजैनेटिक ड्रग्स कंपनी की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति अजय मोहन गोयल ने स्पष्ट किया कि औषधि नियंत्रण के नियम बनाने का अधिकार केवल केंद्र सरकार के पास है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार ने पहले ही ऐसी औषधियों के लिए विस्तृत नियम बनाए हैं, और राज्य नियंत्रक द्वारा अलग से नियम जारी करना अधिकार क्षेत्र के बाहर है।
कोर्ट का तर्क:
राज्य औषधि नियंत्रक का आदेश कानून की दृष्टि में टिकाऊ नहीं है क्योंकि —
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यह कोई वैधानिक अधिसूचना नहीं है,
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न ही इसे औषधि एवं प्रसाधन सामग्री अधिनियम के तहत वैध माना जा सकता है।
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राज्य नियंत्रक को ऐसे एसओपी जारी करने का अधिकार नहीं है।
याचिकाकर्ता का पक्ष:
बायोजैनेटिक ड्रग्स कंपनी ने दलील दी कि यह आदेश उन्हें अनावश्यक कानूनी दबाव में डालता है और यह नियम केंद्र के अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन है।
सरकार का बचाव:
राज्य सरकार ने तर्क दिया कि आदेश नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने और सार्वजनिक हित की सुरक्षा के लिए जारी किया गया था।
हाईकोर्ट ने इस तर्क को खारिज करते हुए स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार की ओर से पहले से निर्धारित नियमों से इतर कोई नया आदेश राज्य स्तर पर वैध नहीं माना जा सकता।
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ट्रामाडोल एक नियंत्रित मादक औषधि है, जिसकी बिक्री और निगरानी के लिए केंद्र ने पहले से ही नियम तय किए हैं।
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यह निर्णय अन्य राज्यों में भी इसी तरह के आदेशों पर असर डाल सकता है।