डिजिटल विजन पर NCB का शिकंजा: नशे की गोलियों का काला कारोबार, देहरादून की फर्जी फर्म भी शामिल
देहरादून/दिल्ली। नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB) ने दवा कंपनियों की आड़ में चल रहे नशे के अवैध कारोबार का बड़ा भंडाफोड़ किया है। इस कार्रवाई में हिमाचल प्रदेश की चर्चित फार्मा कंपनी ‘एम/एस डिजिटल विजन’ पर बड़ा शिकंजा कसा गया है। जांच में खुलासा हुआ है कि कंपनी ने ट्रामाडोल कैप्सूल और कोडीन फॉस्फेट युक्त कफ सिरप की करोड़ों की सप्लाई देहरादून और जोधपुर की फर्जी फर्मों को की थी — जो कागजों पर तो मौजूद थीं, पर असल में सिर्फ नशे के नेटवर्क को ढकने का जरिया थीं।
कंपनी का काला कारोबार उजागर
NCB की जांच रिपोर्ट के मुताबिक, डिजिटल विजन ने पिछले 18 महीनों में 48 लाख से ज्यादा ट्रामाडोल कैप्सूल और करीब 12,000 बोतल कफ सिरप की सप्लाई दिखाई। ये सप्लाई देहरादून और जोधपुर स्थित दो फर्मों को दिखाई गईं — लेकिन जब जांच टीम वहां पहुंची, तो पाया गया कि ये फर्में सिर्फ कागजों पर मौजूद थीं।
जांच में सामने आए बैंक रिकॉर्ड, बिल और ट्रांजैक्शन डिटेल्स से खुलासा हुआ कि भुगतान उसी व्यक्ति के खातों से हुआ, जिसे पहले ही नशे के केस में गिरफ्तार किया जा चुका है।
MD-VI सर्टिफिकेट रद्द होने के बाद भी जारी रहा उत्पादन
NCB अधिकारियों के मुताबिक, डिजिटल विजन का MD-VI सर्टिफिकेट पहले ही रद्द किया जा चुका था, लेकिन कंपनी ने उत्पादन और भंडारण का काम गुपचुप तरीके से जारी रखा।
यानी, सरकारी आदेशों की खुली धज्जियां उड़ाते हुए कंपनी अवैध रूप से नशीली दवाओं की सप्लाई करती रही।
अधिकारियों ने बताया कि यह नेटवर्क उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली और हरियाणा तक फैला हुआ था।
2020 में जम्मू में बच्चों की मौत से भी जुड़ी रही कंपनी
सूत्रों के अनुसार, यही कंपनी 2020 में जम्मू में हुई उस घटना से भी जुड़ी थी, जिसमें कफ सिरप पीने से कई बच्चों की मौत हो गई थी। उस समय भी कंपनी पर सवाल उठे थे, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। अब एक बार फिर वही कंपनी नशे के कारोबार की जड़ में पाई गई है।
फर्जी फर्मों और बिलिंग का जाल
NCB ने खुलासा किया कि देहरादून में जिन फर्मों के नाम से ट्रांजैक्शन किए गए, उनके GST नंबर और औषधि लाइसेंस भी फर्जी पाए गए।
इन फर्मों का इस्तेमाल फर्जी बिलिंग और अवैध दवा वितरण के लिए किया जा रहा था।
NCB ने बैंक अकाउंट्स, ईमेल ट्रांजैक्शन और फर्जी इनवॉइस जब्त कर लिए हैं।
उत्तराखंड के फार्मा सेक्टर पर उठे सवाल
उत्तराखंड, जो फार्मा उद्योग का प्रमुख हब बन चुका है, अब सवालों के घेरे में है।
देहरादून, सिडकुल (हरिद्वार) और रुड़की क्षेत्र में कई दवा कंपनियां संचालित हैं — लेकिन NCB की कार्रवाई के बाद अब यह मांग उठी है कि राज्य औषधि नियंत्रण विभाग को फार्मा लाइसेंसिंग की सख्त जांच करनी चाहिए।
विशेषज्ञों का कहना है कि “यह केवल एक कंपनी की कहानी नहीं, बल्कि सिस्टम की कमजोरी का आईना है।”
केंद्रीय एजेंसियां सक्रिय
NCB ने रिपोर्ट को CDSCO (केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन) और स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंप दिया है।
केंद्र ने राज्यों को निर्देश दिया है कि जिन कंपनियों के खिलाफ नशीली दवाओं के गलत उपयोग या ओवर-सप्लाई की शिकायतें हैं, उन पर तुरंत कार्रवाई की जाए।
NCB अधिकारी बोले — “दवाओं की आड़ में जहर बेचना बर्दाश्त नहीं”
NCB के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा,
“डिजिटल विजन जैसी कंपनियां फार्मा लाइसेंस का दुरुपयोग कर रही हैं। अब यह कार्रवाई एक सख्त संदेश है — जो भी दवाओं की आड़ में नशे का कारोबार करेगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा।”
(विशेष)
“देहरादून की फर्जी फर्मों के नाम पर हुई करोड़ों की ट्रांजैक्शन ने फार्मा सेक्टर को हिला दिया है। अगर जांच में स्थानीय अधिकारियों की भूमिका पाई गई, तो कई बड़े नाम सामने आ सकते हैं।”



