ब्रांड लेबल और उत्पादों पर अब ‘ओआरएस’ नहीं लिख पाएंगी कंपनियां: एफएसएसएआई का सख्त आदेश
नई दिल्ली। भारत के खाद्य नियामक एफएसएसएआई (FSSAI) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए सभी खाद्य एवं पेय कंपनियों को अपने उत्पादों पर “ORS” (ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन) शब्द का प्रयोग तुरंत बंद करने का निर्देश दिया है। यह आदेश उन सभी उत्पादों पर लागू होगा जिनके नाम, ब्रांड, या ट्रेडमार्क में “ORS” शब्द अकेले, किसी उपसर्ग या प्रत्यय के साथ, या किसी रूप में प्रयोग किया गया हो।
🔹 क्यों लिया गया यह फैसला
एफएसएसएआई ने कहा है कि कई कंपनियां अपने पेय पदार्थों, विशेषकर फल-आधारित या गैर-कार्बोनेटेड ड्रिंक्स में “ORS” शब्द का इस्तेमाल कर उपभोक्ताओं को भ्रमित कर रही थीं। उपभोक्ता इन उत्पादों को असली ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन समझकर खरीद लेते हैं, जबकि इनका फॉर्मूलेशन या उपयोग चिकित्सा दृष्टि से डिहाइड्रेशन के इलाज के लिए नहीं होता।
नियामक का कहना है कि इस तरह का उपयोग खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 और उसके तहत बने नियमों का उल्लंघन है, क्योंकि यह भ्रामक लेबलिंग और गलत विज्ञापन की श्रेणी में आता है।
🔹 एफएसएसएआई ने क्या कहा
एफएसएसएआई ने अपने बयान में स्पष्ट किया —
“ट्रेडमार्क या किसी भी उत्पाद के नाम में ‘ओआरएस’ शब्द का प्रयोग, चाहे वह उपसर्ग या प्रत्यय के साथ हो, फल-आधारित, गैर-कार्बोनेटेड या पीने के लिए तैयार पेय पदार्थों में किया गया हो, यह कानूनन गलत है और इसे तुरंत रोका जाए।”
साथ ही, सभी राज्य खाद्य सुरक्षा आयुक्तों और संबंधित प्राधिकरणों को आदेश दिया गया है कि वे इस दिशा-निर्देश का सख्ती से पालन कराएं और उल्लंघन की स्थिति में कानूनी कार्रवाई करें।
🔹 पहले क्या था नियम
एफएसएसएआई ने पहले (14 जुलाई 2022 और 2 फरवरी 2024 के आदेशों में) सीमित तौर पर “ORS” शब्द के उपयोग की अनुमति दी थी, लेकिन एक शर्त के साथ —
“यह उत्पाद विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अनुशंसित ओआरएस फॉर्मूला नहीं है।”
हालांकि, अब एफएसएसएआई ने अपने नए आदेश में स्पष्ट किया है कि किसी भी रूप में ‘ORS’ शब्द का प्रयोग अब पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा।
🔹 क्या हो सकता है उल्लंघन पर जुर्माना
एफएसएसएआई ने चेतावनी दी है कि अगर कोई कंपनी आदेश की अनदेखी करती है, तो उसके खिलाफ खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम, 2006 की धारा 52 और 53 के तहत कार्रवाई की जाएगी।
इन धाराओं के तहत भ्रामक लेबलिंग या विज्ञापन पर जुर्माना लगाया जा सकता है, जो लाखों रुपये तक हो सकता है।
🔹 उपभोक्ताओं के लिए क्या मतलब
यह कदम उपभोक्ताओं को यह समझाने के लिए उठाया गया है कि “ORS” शब्द सिर्फ मेडिकल ग्रेड ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्यूशन (जैसे डॉक्टरों द्वारा सुझाए गए ओआरएस सॉल्यूशन) के लिए है, न कि किसी स्वादयुक्त पेय या जूस के लिए।
अब बाजार में बिकने वाले किसी भी पेय पर “ORS” लिखा हुआ नहीं मिलेगा, जिससे उपभोक्ता भ्रमित न हों।
संक्षेप में:
एफएसएसएआई का नया आदेश उपभोक्ता सुरक्षा और भ्रामक ब्रांडिंग पर लगाम लगाने की दिशा में बड़ा कदम है। अब कोई भी कंपनी अपने फल-आधारित या तैयार पेय उत्पादों पर “ORS” लिखकर उसे स्वास्थ्यवर्धक या चिकित्सीय बताने की कोशिश नहीं कर सकेगी।