रैनिटिडीन पर कड़ी निगरानी: डीसीजीआई ने सभी राज्यों को सख़्त निर्देश जारी किए

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रैनिटिडीन पर कड़ी निगरानी: डीसीजीआई ने सभी राज्यों को सख़्त निर्देश जारी किए

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नई दिल्ली। देश में एसिडिटी, गैस और सीने में जलन के इलाज के लिए सबसे ज़्यादा इस्तेमाल होने वाली दवाओं में से एक रैनिटिडीन पर अब सरकार ने कड़ी निगरानी का आदेश दिया है। भारतीय औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के औषधि नियंत्रकों को निर्देश जारी किए हैं कि वे इस दवा के निर्माण और बाज़ार में उपलब्धता पर विशेष नज़र रखें और यह सुनिश्चित करें कि दवा बनाने वाली कंपनियाँ एनडीएमए (N-Nitrosodimethylamine) की जाँच हर बैच में करें।

रैनिटिडीन को देशभर में एसिलोक, रैनटैक और ज़िनेटैक जैसे नामों से बेचा जाता है। यह दवा पेट में बनने वाले एसिड को कम करती है और एसिडिटी, गैस, सीने में जलन जैसी समस्याओं में राहत देती है। लाखों लोग इसे बिना डॉक्टर की पर्ची के मेडिकल स्टोर से ख़रीदते हैं।

क्या है एनडीएमए और क्यों चिंता?

एनडीएमए एक ऐसा रसायन है जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संभावित कैंसरकारी (carcinogenic) माना जाता है। पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न देशों की लैब रिपोर्टों में यह पाया गया कि अगर रैनिटिडीन को लंबे समय तक या उच्च तापमान और नमी जैसी खराब परिस्थितियों में रखा जाए, तो उसमें एनडीएमए का स्तर बढ़ सकता है।
इसी आशंका के आधार पर कई देशों में रैनिटिडीन को बाज़ार से वापस लिया गया था या उस पर कड़ी निगरानी शुरू की गई थी।

भारत में उठाए गए कदम

भारत के ड्रग्स टेक्निकल एडवाइजरी बोर्ड (DTAB) ने इस साल की शुरुआत में इस मुद्दे पर एक बैठक की थी। विशेषज्ञों ने कहा था कि—
कंपनियों को अपनी निर्माण प्रक्रिया में बदलाव करके एनडीएमए की संभावना को खत्म करना चाहिए।

हर बैच की एनडीएमए के लिए अनिवार्य जाँच हो।

यदि जाँच में किसी बैच में एनडीएमए की मात्रा तय सीमा से ज़्यादा पाई जाती है, तो उस बैच को तुरंत बाज़ार से हटाया जाए।
दवा की शेल्फ लाइफ (समय सीमा) को ज़रूरत पड़ने पर कम किया जाए, ताकि लंबे समय तक स्टोर करने से यह समस्या न हो।

डीसीजीआई ने अब इन सभी सुझावों को लागू करने के लिए राज्य औषधि नियंत्रकों को पत्र भेजा है और कहा है कि हर स्तर पर निगरानी बढ़ाई जाए।

ICMR से विशेष अध्ययन

सरकार ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) को भी कहा है कि वह रैनिटिडीन के उपयोग और इसके प्रभावों पर भारतीय आबादी के बीच विस्तृत अध्ययन करे। यह अध्ययन यह पता लगाने के लिए होगा कि—

क्या भारतीय परिस्थितियों में संग्रहण के दौरान एनडीएमए का स्तर बढ़ता है

लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर कोई गंभीर स्वास्थ्य जोखिम तो नहीं?

आम जनता के लिए क्या मायने?

🔹 रैनिटिडीन पर पूरी तरह रोक नहीं लगी है, यह दवा अभी भी बाज़ार में उपलब्ध है।
🔹 सरकार ने केवल निगरानी बढ़ाने और सख़्त जांच के आदेश दिए हैं।
🔹 आम लोगों से अपील की गई है कि दवा खरीदते समय उसकी एक्सपायरी और स्टोरेज पर ध्यान दें।
🔹 अगर किसी को लगातार एसिडिटी या पेट की समस्या है, तो डॉक्टर से सलाह लेकर ही दवा लें।

इस कदम का उद्देश्य साफ़ है— करोड़ों भारतीयों द्वारा रोज़मर्रा में इस्तेमाल की जाने वाली इस दवा की सुरक्षा सुनिश्चित करना, ताकि भविष्य में किसी भी तरह के कैंसर के ख़तरे से लोगों को बचाया जा सके।

 

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